शीर्षक-कलम, आज उनकी जय बोल




अपने कर्मों की बगिया से, 
भारत-भू को महकाया।।
इसकी लाज बचाने खातिर, 
स्वाभिमान से सिर कटवाया।।
भारत-माता के आँचल के,
थे हीरे अनमोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।।

वतन की उम्मीदों की खातिर,
निज सपनों को पीछे छोड़ा।।
मातृभूमि की रक्षा खातिर,
दुश्मन की गर्दन को तोड़ा।।
इनकी गाथा, गाता है,
पूरा विश्व, खगोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।।

लहू के कतरे-कतरे से निज, 
भारत माँ की मिट्टी सींची।। 
अपने जौहर व कौशल से, 
यश-गौरव की रेखा खींची।। 
चुका नहीं सकते जिनके हम, 
कर्जों का कुछ मोल। 
कलम, आज उनकी जय बोल।।



#आधे-अधूरे मिसरे /प्रसिद्ध पंक्तियाँ  प्रतियोगिता 


----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----पूजा यादव ----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---


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